Showing posts with label sahifae Sajjadia 61st dua (urdu tarjuma / translation in HINDI) by imam zainul abedin sayyade sajjad a.s. zainul eba a.s. ahlebait a.s. (haider alam). Show all posts
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Thursday, 20 September 2012

sahifa-e-kamila--sajjadia-61st-dua--urdu-tarjuma-in-hindi--by-imam-zainul-abedin-a.s



इकसठवीं दुआ
ख़ौफ़ व ख़तरे के मौक़े पर हज़रत (अ0) की दुआ


ऐ मेरे माबूद! तेरे ग़ज़ब को कोई चीज़ रोक नहीं सकती सिवा तेरे हिल्म के, और तेरे अज़ाब से कोई चीज़ छुड़ा नहीं सकती सिवा तेरे अफ़ोव करम के और तुझसे कोई चीज़ बचा नहीं सकती सिवा तेरी रहमत अैर तेरी बारगाह में तज़र्रोअ व ज़ारी के, ऐ मेरे माबूद! तू उस क़ुदरत के ज़रिये जिससे मुर्दा ज़मीनों को ज़िन्दा करेगा और बन्दों की (मुर्दा) रूहों को ज़िन्दगी देगा, मुझे कशाइश् व फ़ारिग़लबाली अताकर और तबाह व बरबाद न होने दे। (मौत से पहले) क़ुबूलियते दुआ से आगाह कर दे। ऐ मेरे परवरदिगाार और मुझे रफ़अत व सरबलन्दी दे और पस्त व नेगोनिसार न कर और मेरी इमदाद फ़रमा और मुझे रोज़ी दे, और आफ़तों से हिफ़्ज़ व अमान में रख। परवरदिगार! अगर तू मुझे बलन्द करे तो फ़िर कौन मुझे पस्त कर सकता है, और अगर तू पस्त करे तो कौन बलन्द कर सकता है। और ऐ मेरे माबूद मुझे बख़ूबी इल्म है के तेरे हुक्म में ज़ुल्म का शाएबा नहीं है और न तेरे इन्तेक़ाम में जल्दी- जल्दी तो वह करता है जिसे मौक़े के हाथ से निकल जाने का अन्देशा होता है और ज़ुल्म करने की ज़रूरत उसे पड़ती है जो कमज़ोर व नातवां होता है और तू ऐ मेरे मालिक! इससे कहीं ज़्यादा बलन्द व बरतर है। ऐ मेरे परवरदिगार! मुझे बला व मुसीबत का हदफ़ अैर अपने अज़ाब का निशाना न बना, और मुझे मोहलत दे और मेरे ग़म व अन्दोह को दूर कर। मेरी लग्ज़िश से दरगुज़र फ़रमा और मुसीबत मेरे पीछे न लगा। क्योंकेमेरी कमज़ोरी व बेचारगी तेरे सामने है। तू मुझे सब्र व सेबात की हिम्मत दे। क्योंके ऐ मेरे परवरदिगार! मैं कमज़ोर और तेरे आगे गिड़गिड़ाने वाला हूं। ऐ मेरे परवरदिगार! मैं तुझसे तेरे ही दामने रहमत में पनाह मांगता हूं लेहाज़ा मुझे पनाह दे और हर मुसीबत व इब्तेला से तेरे ही दामन में अमान का तलबगार हूं लेहाज़ा मुझे अमान दे और तुझसे परदापोशी चाहता हूं लेहाज़ा जिन चीज़ों से मैं ख़ौफ़ व हेरास महसूस करता हूं उनसे ऐ मेरे मालिक अपने दामने हिफ़्ज़ व हिमायत में छुपा ले और तू अज़ीम और हर अज़ीम से अज़ीमतर है। मैं तेरे और सिर्फ़ तेरे और महज़ तेरे ज़रिये (पर्दाए हिफ़्ज़ व अमान में) छिप हुआ हूं। ऐ अल्लाह! ऐ अल्लाह! ऐ अल्लाह! ऐ अल्लाह! ऐ अल्लाह! ऐ अल्लाह! ऐ अल्लाह! ऐ अल्लाह! तू मोहम्मद (स0) और उनकी पाक व पाकीज़ा आल (अ0) पर रहमत और कसीर सलामती नाज़िल फ़रमा।