Thursday 20 September 2012

sahifa-e-kamila-sajjadia-43rd-dua--urdu-tarjuma-in-hindi--by-imam-zainul-abedin-a.s



तेंतालीसवीं दुआ
दुआए रोयते हेलाल


ऐ फ़रमाबरदार, सरगर्मे अमल और तेज़ रौ मख़लूक़ और मुक़रर्रा मन्ज़िलों में यके बाद दीगरे वारिद होने और फ़लक नज़्म व तदबीरें तसरूफ़ करने वाले मैं उस ज़ात पर ईमान लाया जिसने तेरे ज़रिये तारीकियों को रौषन और ढकी छिपी चीज़ों को आशकार किया और तुझे अपनी शाही व फ़रमानरवाई की निशानियों में से एक निशानी और अपने ग़लबे व इक़्तेदार की अलामतों में से एक अलामत क़रार दिया और तुझे बढ़ने, घटने, निकलने, छिपने और चमकने गहनाने से तसख़ीर किया। इन तमाम हालात में तू उसके ज़ेरे फ़रमान और उसके इरादे की जानिब रवां दवां है। तेरे बारे में उसकी तदबीर व कारसाज़ी कितनी अजीब और तेरी निस्बत उसकी सनाई कितनी लतीफ़ है, तुझे पेश आईन्द हालात के लिये नये महीने की कलीद क़रार दिया। तो अब मैं अल्लाह तआला से जो मेरा परवरदिगार, मेरा ख़ालिक़ और तेरा ख़ालिक़ मेरा नक़्श आरा और तेरा नक़्श आरा और मेरा सूरतगर और तेरा सूरत गर है सवाल करता हूं के वह रहमत नाज़िल करे मोहम्मद (स0) और उनकी आल (अ0) पर और तुझे ऐसी बरकत वाला चान्द क़रार दे, जिसे दिनों की गर्दिशें ज़ाएल न कर सकें और ऐसी पाकीज़गी वाला जिसे गुनाह की कशाफ़तें आलूदा न कर सकें। ऐसा चान्द जो आफ़तों से बरी और बुराइयों से महफ़ूज़ हो। सरासर यमन व सआदत का चान्द जिस में ज़रा नहूसत न हो और सरापा ख़ैर व बरकत का चान्द जिसे तंगी व उसरत से कोई लगाव न हो और ऐसी आसानी व कशाइश का जिस में दुश्वारी की आमेज़िश न हो और ऐसी भलाई का जिसमें बुराई का शाएबा न हो। ग़रज़ सर ता पा अम्न, ईमान, नेमत, हुस्ने अमल, सलामती और इताअत व फ़रमा बरदारी का चान्द हो, ऐ अल्लाह! मोहम्मद (स0) और उनकी आल (अ0) पर रहमत नाज़िल फ़रमा और जिन जिन पर यह अपना परतो डालें उनसे बढ़कर हमें ख़ुशनूद और जो जो उसे देखे उन सबसे ज़्यादा दुरूस्तकार और जो जो जो इस महीने में तेरी इबादत करे उन सबसे ज़्यादा ख़ुशनसीब क़रार दे। और हमें इसमें तौबा की तौफ़ीक़ दे और गुनाहों से दूर और मासियत के इरतेकाब से महफ़ूज़ रखे और हमारे दिल में अपनी नेमतों पर अदाए शुक्र का वलवला पैदा कर और हमें अम्न व आफ़ियत की सिपर में ढांप ले और इस तरह हम पर अपनी नेमत को तमाम करके तेरी फ़राएज़े इताअत को पूरे तौर से अन्जाम दें। बेशक तू नेमतों का बख़्शने वाला और क़ाबिले सताइश है। रहमते फ़रावां नाज़िल करे अल्लाह मोहम्मद (स0) और उनकी पाक व पाकीज़ा आल (अ0) पर।

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