Thursday 20 September 2012

sahifa-e-kamila--sajjadia-55th-dua--urdu-tarjuma-in-hindi--by-imam-zainul-abedin-a.s



पचपनवीं दुआ
यह वह दुआएं हैं जो सहीफ़ाए कामेला के बाज़ नुस्ख़ों में दर्ज की गई हैं- मिनजुमला उनके हज़रत (अ0) की एक दुआ यह है जो तस्बीह व तक़दीस के सिलसिले में


ऐ मेरे माबूद! मैं तेरी तस्बीह करता हूं तू मुझ पर करम बालाए करम फ़रमा। बारे इलाहा! मैं तेरी तस्बीह करता हूं और तू बलन्द व बरतर है। ख़ुदाया! मैं तेरी तस्बीह करता हूं और इज़्ज़त तेरा ही जामअ है। बारे इलाहा! मैं तेरी तस्बीह करता हूं और अज़मत तेरी ही रिदा है। ऐ परवरदिगार! मैं तेरी तस्बीह करता हूं और किबरियाई तेरी दलील व हुज्जत है, पाक है तू ऐ अज़ीम व बरबर तू कितना अज़मत वाला है। पाक है तू ऐ वह के मलाए आला के रहने वालों में तेरी तस्बीह की गयी है जो कुछ तहे ख़ाक है तू उसे सुनता और देखता है। पाक है तेरी ज़ात तू हर राज़दाराना गुफ़्तगू पर मुतलअ है। पाक है तू ऐ वह जो हर रन्ज व शिकवा के पेश करने की जगह है। पाक है तू ऐ वह जो हर इज्तेमाअ में मौजूद है। पाक है तू ऐ वह जिससे बड़ी  से बड़ी उम्मीदें बान्धी जाती हैं। पाक है तू जो कुछ पानी की गहराई में है उसे तू देखता है। पाक है तेरी ज़ात तू समन्दरों की गहराइयों में मछलियों के सांस लेने की आवाज़ सुनता है। पाक है तेरी ज़ात तू आसमानों का वज़न जानता है, पाक है तेरी ज़ात तू ज़मीनों के वज़न से बाख़बर है। पाक है तेरी ज़ात तू सूरज और चान्द के वज़न से वाक़िफ़ है। पाक है तेरी ज़ात तू तारीकी और रोशनी के वज़न से आगाह है पाक है तेरी ज़ात तू साया और हवा का वज़न जानता है। पाक है तेरी ज़ात तू हवा के (हर झोंके के) वज़न से आगाह है के वह वज़न में कितने ज़र्रों के बराबर है। पाक है तेरी ज़ात तू (तसव्वुर व ख़याल व वहम में आने से) पाक, मुनज़्ज़ह और बरी है मैं तेरी तस्बीह करता हूं। ताज्जुब है के जिसने तुझे पहचाना वह क्योंकर तुझसे ख़ौफ़ नहीं खाता। ऐ अल्लाह! मैं हम्द व सना के साथ तेरी पाकीज़गी बयान करता हूं। पाक है वह परवरदिगार जो उलू व अज़मत वाला है।

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