Thursday 20 September 2012

Sahifa-e-Kamila, Sajjadia 41st dua (urdu tarjuma in HINDI) by imam zainul abedin a.s.



 इकतालीसवीं दुआ
पर्दापोशी और हिफ़्ज़ व निगेहदाश्त के लिये यह दुआ पढ़ते

 
बारे इलाहा रहमत नाज़िल फ़रमा मोहम्मद (स0) और उनकी आल (अ0) पर और मेरे लिये एज़ाज़ व इकराम की मसनद बिछा दे, मुझे रहमत के सरचश्मों पर उतार दे, वुसते बेहिश्त में जगह दे और अपने हाँ से नाकाम पलटाकर रन्जीदा न कर और अपनी रहमत से नाउम्मीद करके हरमाँ नसीब न बना दे। मेरे गुनाहों का क़सास न ले और मेरे कामों का सख़्ती से मुहासेबा न कर। मेरे छुपे हुए राज़ों को ज़ाहिर न फ़रमा और मेरे मख़फ़ी हालात पर से पर्दा न उठा और मेरे आमाल को अद्ल व इन्साफ़ के तराज़ू पर न तौल और अशराफ़ की नज़रों के सामने मेरी बातेनी हालत को आशकार न कर। जिसका ज़ाहिर होना मेरे लिये बाएसे नंग व आर हो वह उनसे छिपाए रख और तेरे हुज़ूर जो चीज़ ज़िल्लत व रूसवाई का बाएस हो वह उनसे पोशीदा रहने दे। अपनी रज़ामन्दी के ज़रिेये मेरे दर्जे को बलन्द और अपनी बख़्शिश के वसीले से मेरी बन्दगी व करामत की तकमील फ़रमा और उन लोगों के गिरोह में मुझे दाखि़ल कर जो दाएँ हाथ से नामाए आमाल लेने वाले हैं और उन लोगों की राह पर ले चल जो (दुनिया व आख़ेरत में) अम्न व आफ़ियत से हमकिनार हैं और मुझे कामयाब लोगों के ज़मरह में क़रार दे और नेकोकारों की महफ़िलों को मेरी वजह से आबाद व पुर रौनक़ बना। मेरी दुआ को क़ुबूल फ़रमा ऐ तमाम जहानों के परवरदिगार।

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