Thursday 20 September 2012

Sahifa-e-Kamila, Sajjadia 40th dua (urdu tarjuma in HINDI) by imam zainul abedin a.s.



 चालीसवीं दुआ
जब किसी की ख़बरे मर्ग सुनते या मौत को याद करते तो यह दुआ पढ़ते

 
ऐ अल्लाह! मोहम्मद (स0) और उनकी आल (अ0) पर रहमत नाज़िल फ़रमा और हमें तूल तवील उम्मीदों से बचाए रख और पुरख़ुलूस आमाल के बजा लाने से दामने उम्मीद को कोताह कर दे ताके हम एक घड़ी के बाद दूसरी घड़ी के तमाम करने, एक दिन के बाद दूसरे दिन के गुज़ारने, एक सांस के बाद दूसरी सांस के आने और एक क़दम के बाद दूसरे क़दम के उठने की आस न रखें। हमें फ़रेब आरज़ू और फ़ित्नाए उम्मीद से महफ़ूज़ व मामून रख। और मौत को हमारा नसबलऐन क़रार दे और किसी दिन भी हमें उसकी याद से ख़ाली न रहने दे और नेक आमाल में से हमें ऐसे अमले ख़ैर की तौफ़ीक़ दे जिसके होते हुए हम तेरी जानिब बाज़गश्त में देरी महसूस करें और जल्द से जल्द तेरी बारगाह में हाज़िर होने के आरज़ू मन्द हों। इस हद तक के मौत हमारे उन्स की मन्ज़िल हो जाए जिससे हम जी लगाएं और उलफ़त की जगह बन जाए जिसके हम मुश्ताक़ हों और ऐसी अज़ीज़ हो जिसके क़रीब को हम पसन्द करें। जब तू उसे हम पर वारिद करे और हम पर ला उतारे तो उसकी मुलाक़ात के ज़रिये हमें सआदतमन्द बनाना और जब वह आए तो हमें उससे मानूस करना और उसकी मेहरबानी से हमें बदबख़्त न क़रार देना और न उसकी मुलाक़ात से हमको रूसवा करना और उसे अपनी मग़फ़ेरत के दरवाज़ों में से एक दरवाज़े और रहमत की कुन्जियों में से एक कलीद क़रार देना और हमें इस हालत में मौत आए के हम हिदायतयाफ़्ता हों गुमराह न हों। फ़रमाबरदार हों और (मौत से) नफ़रत करने वाले न हों, तौबागुज़ार हों ख़ताकार और गुनाह पर इसरार करने वाले न हों। ऐ नेकोकारों के अज्र व सवाब का ज़िम्मा लेने वाले और बदकिरदारों के अमल व किरदार की इस्लाह करने वाले।
 

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