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Thursday, 20 September 2012

sahifa-e-kamila--sajjadia-59th-dua--urdu-tarjuma-in-hindi--by-imam-zainul-abedin-a.s



उनसठवीं दुआ
हज़रते आदम (अ0) पर दुरूदो सलवात के सिलसिले में हज़रत (अ0) की दुआ


बारे इलाहा! वह आदम (अ0) जो तेरी आफ़ज़ीन्श के नक़्शे बदीअ और ख़ाक से पैदा होने वालों में तेरी रुबूबीयत के पहले मोतरफ़ और तेरे बन्दों और तेरी मख़लूक़ात पर तेरी पहली हुज्जत और तेरे अज़ाब से तेरे दामने अफ़ो में पनाह मांगने की राह दिखाने वाले और तेरी बारगाह में तौबा की राहें आश्कारा करने वाले और तेरी मारेफ़त और तेरे मख़लूक़ात के दरमियान वसीला बनने वाले हैं। व हके जिन पर ख़ुसूसी करम व एहसान और मेहरबानी करते हुए उन्हें वह तमाम बातें बतला दीं जिनके ज़रिये तू उनसे राज़ी व ख़ुशनूद हुआ व हके जो तौबा व अनाबत करने वाले हैं। जिन्होंने तेरी मासियत पर इसरार नहीं किया। जो तेरे हरम में सर मुन्डवा कर अज्ज़ व फ़रवतनी करने वालों में साबिक़ हैं। वह जो मुख़ालेफ़त के बाद इताअत के वसीले से तेरे अफ़ो व करमम के ख़्वाहिशमन्द हुए और उन तमाम अम्बिया के बाप हैं जिन्होंने तेरी राह में अज़ीयतें उठाईं। और ज़मीन पर बसने वालों में सबसे ज़्यादा तेरी इताअत व बन्दगी में सई व कोशिश करने वाले हैं। उन पर ऐ मेहरबानी करने वाले तू अपनी जानिब से और अपने फ़रिश्तों और ज़मीन व आसमान में बसने वालों की तरफ़ से रहमत नाज़िल फ़रमा। जिस तरह उन्होंने तेरी क़ाबिले एहतेराम चीज़ों की अज़मत मलहूज रखी और तेरी ख़ुशनूदी व रज़ामन्दी की तरफ़ हमारी रहनुमाई की। ऐ तमाम रहम करने वालों में सबसे ज़्यादा रहम करने वाले।