Wednesday 8 February 2012

Sahifa-e-Kamila, Sajjadia 11th dua (urdu tarjuma in HINDI) by imam zainul abedin a.s.

 ग्यारहवीं दुआ
अन्जाम बख़ैर होने की दुआ
 
ऐ वह ज़ात! जिसकी याद, याद करने वालों के लिये सरमाया-ए-इज़्ज़त, ऐ वह जिसका शुक्र, शुक्रगुज़ारों के लिये वजहे कामरानी, ऐ वह जिसकी फ़रमाबरदारी फ़रमाबरदारों के लिये ज़रियाए नजात है। रहमत नाज़िल फ़रमा मोहम्मद (स0) और उनकी आल (अ0) पर और हमारे दिलों को अपनी याद में और हमारी ज़बानों को अपने शुक्रिया में और हमारे आज़ा को अपनी फ़रमानबरदारी में मसरूफ़ रखकर हर याद, हर शुक्रिया और फ़रमाबरदारी से बेनियाज़ कर दे।
 
और अगर तूने हमारी मसरूफ़ियतों में कोई फ़राग़त का लम्हा रखा है तो उसे सलामती से हमकिनार कर, इस तरह के नतीजे में कोई गुनाह दामनगीर न हो और ख़स्तगी रूनुमा हो ताके बुराइयों को लिखने वाले फ़रिश्ते इस तरह पलटें के नामाए आमाल हमारी बुराईयों के ज़िक्र से ख़ाली हों और नेकियों को लिखने वाले फ़रिश्ते हमारी नेकियों को लिख कर मसरूर व शादाँ वापस होँ और जब हमारी ज़िन्दगी के दिन बीत जाएं और सिलसिलए हयात क़ता हो जाएं और तेरी बारगाह में हाज़िर होने का बुलावा आए, जिसे बहरहाल आना और जिस पर बहरसूरत लब्बैक कहना है।
 
तू मोहम्मद (स0) और उनकी आल (अ0) पर रहमत नाज़िल फ़रमा और हमारे कातिबाने आमाल हमारे जिन आमाल का शुमार करें उनमें आखि़री अमल मक़बूले तौबा को क़रार दे के इसके बाद हमारे इन गुनाहों और हमारी इन मासियतों पर जिन के हम मुरतकिब हुए हैं सरज़न्श न करे और जब अपने बन्दों के हालात जांचे तो उस पर्दे को जो तूने हमारे गुनाहों पर डाला है सब के रू-ब-रू चाक न करे, बेशक जो तुझे बुलाए तू उस पर मेहरबानी करता है और जो तुझे पुकारे तू उसकी सुनता है।

No comments:

Post a Comment